vyakti ban kar aa

मैं तेरी ओर बढ़ता हूँ तो संसार छूटने लगता है,
संसार को पकड़ता हूँ तो तेरा प्यार छूटने लगता है;
मुझे इस उलझन से निकाल दे
किसी सीधी राह पर डाल दे;
कुछ ऐसा कर कि संसार में और तुझमें
कोई भेद न रह जाय,
रूप, रंग, रेखाओं की इस धरती से मैं लिपट जाऊँ
फिर भी मन में कोई खेद न रह जाय।
जो तुझे दीन-दुखियों के आँसुओं में ढूँढ़ सके थे,
मेरा नाम उन्हींमें लिखा दे;
कोटि-कोटि मानव-मुखों में तेरी छवि देख सकूँ,
जीने की वही रीति सिखा दे।