कालजयी_Kaljayee
- अहल्या
- आयु बनी प्रस्तावना
- आलोकवृत्त
- उषा
- उसर का फूल
- एक चन्द्रबिम्ब ठहरा हुआ
- अंतः सलिला
- कविता
- कस्तूरी कुंडल बसे
- कितने जीवन कितनी बार
- कुछ और गुलाब
- कच-देवयानी
- गाँधी भारती
- गीत रत्नावली / करुणा-त्रिवेणी
- गीत-वृन्दावन / करुणा-त्रिवेणी
- चन्दन की कलम शहद में डुबो-डुबोकर
- चाँदनी
- तिलक करें रघुबीर
- तुझे पाया अपने को खोकर
- दिया जग को तुझसे जो पाया
- देश विराना है
- नये प्रभात की अँगड़ाइयाँ
- नहीं विराम लिया है
- नाव सिन्धु में छोड़ी
- नूपुर बँधे चरण
- पँखुरियाँ गुलाब की
- प्रीत न करियो कोय
- प्रेम-कालिंदी
- बलि-निर्वास
- बिखरे फूल
- बूँदे – जो मोती बन गयी
- भूल
- मेरे गीत तुम्हारा स्वर हो
- मेरे भारत, मेरे स्वदेश
- राज-राजेश्वर अशोक
- रूप की धूप
- रेत पर चमकती मणियाँ
- व्यक्ति बनकर आ
- शब्दों से परे
- सब कुछ कृष्णार्पणम्
- सीता-वनवास / करुणा-त्रिवेणी
- सीपी-रचित रेत
- सौ गुलाब खिले
- हम तो गाकर मुक्त हुये
- हर सुबह एक ताज़ा गुलाब