anbindhe moti
सखि ये भावुक नयन तुम्हारे
देख न ले कोई विद्यापति इन पर तन-मन वारे !
उष:-अरूण नीलाभ नयन-जल
तीर-त्यक्त, आसक्त, अचंचल
खसित-वसन सचकित पुतली-दल
कहीं “आज मझु शुभ दिन भेला’ तन्मय हो न पुकारे ।
सखि ! ये भावुक नयन तुम्हारे
देख न ले कोई विद्यापति, इन पर तन-मन वारे !
विद्यापति का एक गीत – “आज मझु शुभदिन भेला,
‘कामिनि देखलि सनान के बेला’ पढ़कर
1938