anbindhe moti
आया था तूफान यहाँ भी
अपनी क्षण-भंगुर सुषमा ले
टूटे जहाँ पड़े घट, प्याले
कभी मिल चुका है प्यासे अधरों को मधु का दान यहाँ भी
मधुर प्रेम रस पिला गये जो
आकर हम को जिला गये जो
जुटा कभी था उन मस्तों की मस्ती का सामान यहाँ भी
शेष चिह्व भी ठहर न पाये
चाहे खँडहर भी गिर जाये
कह देगा इतिहास, हुआ इतिहासों का निर्माण यहाँ भी
आया था तूफान यहाँ भी
1940