boonde jo moti ban gayee

मैं फिर भी यहाँ आऊँगा,

तुम मुझे पहचान लेना।

कभी फूल, कभी तितली बनकर,
कभी हिमहास, कभी कोकिल की काकली बनकर,
वासंती खेतों में लहराऊँगा,

तुम मुझे पहचान लेना।

कभी शीत, कभी ताप बनकर,
कभी मेघ, कभी झंझा का पदचाप बनकर,
तुम्हारे हृदय में सिहरन उठाऊँगा,

तुम तुझे पहचान लेना।

मैं सदा तुम्हारे पास रहूँगा,
सारी-सारी रात तुमसे मन की बातें कहूँगा
बस तुम्हें दिख नहीं पाऊँगा

तुम मुझे पहचान लेना।

कभी रोना और कभी हँसना,
पर मुझे अपने आलिंगन में मत कसना,
मैं तुम्हारी बाँहों से फिसल जाऊँगा,

तुम मुझे पहचान लेना।

मेरी रूपहीनता से मत डरना,
मुझे पहचानने में भूल मत करना,
तुम्हारे स्वरों में मैं ही गाऊँगा,

तुम मुझे पहचान लेना।

मैं फिर भी यहाँ आऊँगा,

तुम मुझे पहचान लेना।