chandan ki kalam shahad mein dubo dubo kar

भारत-रत्न श्री पुरुषोत्तमदास टंडन के प्रति

जय हो, हे हिन्दी उद्धारक!
राष्ट्रव्रती! राजर्षि! राष्ट्रभाषा के मंत्रोच्चारक!

हिंदी-गंगा-हेतु भगीरथ, हे अजेय सेनानी!
पहली बार तुम्हींने जन-मनकी पीड़ा पहचानी
एक यही ब्रत था जीवन भर, एक यही धुन ठानी
एक हमारा देश रहेगा, एक हमारी वाणी

छिन्‍न-भिन्‍न भारत के हित था मंत्र तुम्हारा तारक

पूज सकेंगे नहीं तुम्हें हम शंकित अंतस्तल से
नामोच्चारण-पूर्व जीभ निज धो लें गंगाजल से
अब भी वंचित है स्वदेश स्वातंत्रय-विटप के फल से
कैसे पायें पार तुम्हारे बिना आसुरी छल से!

कानों में आता है माँ का क्रंदन हृदय-विदारक

चिंता मत करना, आँधी से पर्वत नहीं हिलेंगे
जहाँ बहा है खून तुम्हारा वहाँ गुलाब खिलेंगे
इस फौलादी वक्ष:स्थल पर सब आघात झिलेंगे
निश्चय कभी सूर-तुलसी से ग़ालिब-मीर मिलेंगे

हिन्दी को हम बना सकेंगे सही तुम्हारा स्मारक

जय हो, हे हिन्दी उद्धारक!
राष्ट्रव्रती! राजर्षि! राष्ट्रभाषा के मंत्रोच्चारक!

1980