ek chandrabimb thahra huwa
हमने नायक-नायिका का अभिनय
तो बहुत सुंदर किया,
परंतु तुम तो नाटक समाप्त होते ही
छुट्टी पा गयी,
मैंने जीवन भर के लिए
एक रोग पाल लिया;
तुमने तो अपने हाथ के दीपक को
पल भर में ही फूँक मारकर बुझा दिया,
पर मैं उसकी लौ को कलेजे से लगाये-लगाये
सारी आयु ज्वाला में झुलसा किया।