ghazal ganga aur uski lahren

अब कहाँ चाँद सितारे हैं नज़र के आगे !
बस उस तरफ के किनारे हैं नज़र के आगे

कोई कुछ भी कहे, हमने तो यही देखा है
ख़्वाब ही ख़्वाब ये सारे हैं नज़र के आगे

तू भले ही है छिपा रंगमहल में अपने
तेरे पाँपोश तो, प्यारे ! हैं नज़र के आगे

कौन कहता है, तुझे प्यार नहीं है हमसे !
क्यों ये रह-रहके इशारे हैं नज़र के आगे !

कभी ख़ुशबू से ये दिल उनका भी छू लेंगे, गुलाब !
रंग तूने जो पसारे हैं नज़र के आगे