har moti me sagar lahre
मिलके बिछुड़े जो, उनका गम हूँ मैं
सावन की घटाओं से नहीं कम हूँ मैं
गाती हो जिसे विरहिन कोई पिछली रात
उस दर्दभरे गीत का सरगम हूँ मैं
मिलके बिछुड़े जो, उनका गम हूँ मैं
सावन की घटाओं से नहीं कम हूँ मैं
गाती हो जिसे विरहिन कोई पिछली रात
उस दर्दभरे गीत का सरगम हूँ मैं