har moti me sagar lahre
मुक्ति में, माना सभी दग्ध हों पाप
सुने देव-वीणा के मधुर आलाप
कौन सुख लूटे, पर बैकुंठ के भी
मुक्त होकर रहे नहीं यदि आप ?
मुक्ति में, माना सभी दग्ध हों पाप
सुने देव-वीणा के मधुर आलाप
कौन सुख लूटे, पर बैकुंठ के भी
मुक्त होकर रहे नहीं यदि आप ?