har subah ek taza gulab
आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से !
ये वो प्याला है जो भरता है छलक जाने से
हैं वही आप, वही हम हैं, वही दुनिया है
बात कुछ और है थोड़ा-सा मुस्कुराने से
मोतियों से भी सजा लीजिए पलकों को कभी
रंग चमकेगा नहीं आईना चमकाने से
फ़ासिला थोड़ा-सा अच्छा है आपमें, हममें
ख़त्म हो जायगा यह खेल पास आने से
देखते-देखते कुछ यों हवा हुए हैं गुलाब
ज्यों गया हो कोई बीमार के सिरहाने से