hum to gaa kar mukt huye
गाये जो ये गीत बैठकर मैंने तरु की डाल पर
चल कर मन की चाल पर
थिरकेंगे सुर-ताल पर
सूरज-से चमकेंगे हरदम महाकाल के भाल पर
पढ़ा करेंगी गोरियाँ
माँयें देंगीं लोरियाँ
हंस चुगेंगे मोती आकर इस सोने के थाल पर
गाये जो ये गीत बैठकर मैंने तरु की डाल पर