hum to gaa kar mukt huye
पथ का छोर कहाँ है?
खींच रहा जो प्रतिपल यह साँसों की डोर, कहाँ है?
माना इस चलने में सुख है
जीवन सतत विकासोन्मुख है
पर जिसके वियोग का दुख है
वह चितचोर कहाँ है?
अगम सिन्धु के तीर अकेले
मन कब तक यह पीड़ा झेले?
आकर मुझे नाव में ले ले
वह किस ओर, कहाँ है?
पथ का छोर कहाँ है?
खींच रहा जो प्रतिपल यह साँसों की डोर, कहाँ है?