hum to gaa kar mukt huye
श्याम पुतलियाँ चमकीं
और मिल गयी झलक अचानक तेरे अंतरतम की
जहाँ नील यमुना के तट पर शून्य भास होता था
वहीं चाँदनी के कुंजों में मधुर रास होता था
कितनी लीलायें अंकित थीं प्रिया और प्रियतम की
सूने घर में एक बुझा-सा दीपक था मटमैला
सहसा किसके शुभ्र हास से यह प्रकाश है फैला
ध्वनि गूँजी अंतर में किसकी पायल के छमछम की!
श्याम पुतलियाँ चमकीं
और मिल गयी झलक अचानक तेरे अंतरतम कौ
अक्तूबर 86