kasturi kundal base

ओ मेरे मन!
अकेला तू ही विश्राम क्‍यों माँग रहा है |
यह चाँद, यह सूरज, यह तारामंडल,
क्या इनमें से प्रत्येक अहर्निश नहीं जाग रहा है !
निरंतर किसी अज्ञात लक्ष्य की ओर
नहीं भाग रहा है!