kasturi kundal base
मेरी दुर्बलताओं का अँधेरा मुझ तक ही रहे,
मेरे शुभ संकल्पों की चाँदनी घर-घर में छा जाय,
मेरी आसूँ की बूँदें मेरे गालों पर ही सूखें,
मेरी मुस्कान सब ओर फूल-ही-फूल खिला जाय,
अपनी कुंठाओं का दंश मैं आप ही झेलूँ,
मेरी आस्था का स्वर कंठ-कंठ में गूँजे
मेरे जीवन की विफलतायें मुझे ही रुलायें
मेरी विजय के स्मारकों को ही संसार सदा पूजे!