kitne jivan kitni baar

जब तक सुख के दिन आते हैं
तब तक उन्हें जोहनेवाले आप चले जाते हैं

वन से लौटे राम, अवध में फिर सुख के दिन आये
पर दशरथ के मुँदे नयन क्या उन्हें देख भी पाये!

मधुर मिलन-क्षण में भी दृग आँसू ही भर लाते हैं

रक्त-धौत सिंहासन को कब पांडुसुतों ने भोगा!
सुख से अधिक उन्होंने कुल-क्षय का दुख झेला होगा

जबतक फल आता, फूलों के रंग न टिक पाते हैं

जब तक सुख के दिन आते हैं
तब तक उन्हें जोहनेवाले आप चले जाते हैं