kitne jivan kitni baar

जब भी नाम हमारा आये
नयन झुका, मुँह मोड़, दाँत से रहना होँठ दबाये

साँस दीर्घ भी लेना ऐसे दोनों हाथ उठाये
समझें जमुहाई सब, कोई आँसू देख न पाये

पलकें मलती रजकण के मिस, मन की व्यथा छिपाये
उँगली की मुद्रिका फिराती रहना दायें – बायें

जब भावों का ज्वार न सँभले छाती रूँध सी जाये
कहना उठ कर- अब चलना है साँझ हुई घन छाये

जब भी नाम हमारा आये
नयन झुका, मुँह मोड़, दाँत से रहना होँठ दबाये