kitne jivan kitni baar

जहर सबको पीना पड़ता है
जीवन को आँसू के धागों से सीना पड़ता है

पिघली आग बहे रग-रग में
प्रतिपल वृश्चिक-दंशन पग में
जब तक साँसें हैं, इस जग में

पर जीना पड़ता है

कहाँ-कहाँ किस तरह बचायें
मसक उठे जब दायें-बायें!
क्यों न वसन से मोह हटायें

जब झीना पड़ता है!

जहर सबको पीना पड़ता है
जीवन को आँसू के धागों से सीना पड़ता है