kitne jivan kitni baar
द्वार बंद थे तेरे
अरी अभागिन! चला गया प्रिय अतिथि लगाकर फेरे
रहा न तुझको ध्यान समय का
बीत गया मधुक्षण परिचय का
लाया था संदेश प्रणय का
कोई बड़े अँधेरे
वह जीवन की घड़ी निराली
अब न लौटकर आनेवाली
क्यों मन पर अर्गला लगाली
बना-बनाकर घेरे!
द्वार बंद थे तेरे
अरी अभागिन! चला गया प्रिय अतिथि लगाकर फेरे