kitne jivan kitni baar

मार्ग अनदेखा, लक्ष्य अजाना
जीवन क्या है, चलते जाने का बस एक बहाना

धरती चलाती, अम्बर चलता, चलते चाँद-सितारे
कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड चल रहे हैं ये बिना सहारे
जाने कहाँ पहुँचने का इन सबने मन में ठाना!

खींचे कहाँ लिए जाते हैं मुझे क्षीण ये धागे?
एक द्वार खुलते ही दिखते द्वार सहस्रों आगे
किसने बिछा दिया सम्मुख यह अद्भुत ताना-बाना!

चक्कर में है बुद्धि, चेतना थककर बैठ गयी है
चिर-पुराण होकर भी मेरी यात्रा नित्य नयी है
चालक को तो क्या, मैंने निज को न अभी पहचाना

मार्ग अनदेखा, लक्ष्य अजाना
जीवन क्या है, चलते जाने का बस एक बहाना