kitne jivan kitni baar

भला इस जीवन का क्या अर्थ
यदि तेरा होकर मैं तेरा बनने में न समर्थ!

जो तेरा सेवक कहलाता
यदि अपने बल पर इतराता
जोड़ न पाये तुझसे नाता

तो जीना है व्यर्थ

तारों से स्वर्गिक स्वर फूटे
रज से निकले रूप अनूठे
यदि मुझसे रस-निर्झर छूटे

    क्या हो बड़ा अनर्थ!

भला इस जीवन का क्या अर्थ
यदि तेरा होकर मैं तेरा बनने में न समर्थ!