kitne jivan kitni baar

सपने मुझे बुलाने आये
जब जग ने हर चौराहे पर पहरे कड़े बिठाये

एक गली जो छिपी तुम्हारे मन तक चली गयी थी
जिसे प्रकाशित करती कोई चितवन मोहमयी थी

उसी मार्ग से मुझे जगाकर ये तुम तक थे लाये

यदि अपराध हुआ कुछ मेरे मन की आकुलता से
अनजाने बढ़ गये तुम्हारी ओर अधर चिर-प्यासे

तो मेरा क्‍या दोष! तुम्हींने सोये भाव जगाये

सपने मुझे बुलाने आये
जब जग ने हर चौराहे पर पहरे कड़े बिठाये