kitne jivan kitni baar

सातों सुर बोलेंगे
जब हम वीणा छोड़ यहीं पर तेरे संग हो लेंगे

तार बिना झंकार उठेगी
तान गगन के पार उठेगी
व्यर्थ करुण चीत्कार उठेगी

नयन नहीं खोलेंगे

तब हम तेरे चरणों में लय
चिर-निर्द्वंद, निरामय, निर्भय
चिति के महाकाश में अक्षय

रूप-रहित डोलेंगे

सातों सुर बोलेंगे
जब हम वीणा छोड़ यहीं पर तेरे संग हो लेंगे