mere geet tumhara swar ho
मृत्यु
करके सर्वस्व भी हरण मेरा
तू न छू पाये आत्म-धन मेरा
मृत्यु | तेरी मजाल क्या, लूटे
पुण्य-फल, ज्ञान-संचयन मेरा !
मृत्यु
करके सर्वस्व भी हरण मेरा
तू न छू पाये आत्म-धन मेरा
मृत्यु | तेरी मजाल क्या, लूटे
पुण्य-फल, ज्ञान-संचयन मेरा !