mere geet tumhara swar ho
विराग
यंह भी क्या विराग घर-द्वार छोड़ चल दे
राग कर यों कि वह विराग का ही फल दे
माना काम, क्रोध, aलोभ जन्म से मिले हैं तुझे
साधना वही है जो स्वभाव को बदल दे
विराग
यंह भी क्या विराग घर-द्वार छोड़ चल दे
राग कर यों कि वह विराग का ही फल दे
माना काम, क्रोध, aलोभ जन्म से मिले हैं तुझे
साधना वही है जो स्वभाव को बदल दे