nahin viram liya hai
हम तो तेरे हैं दीवाने
तू देखे चाहे मत देखे, जाने या मत जाने
उठ-उठकर नित साँझ-सवेरे
द्वार निकट देते हैं फेरे
भक्त समझकर प्रेमी तेरे
आते गले लगाने
आर्त्त पुकार, याचना मन की
संभव है, तूने न श्रवण की
पर मैंने तो निधि जीवन की
पायी इसी बहाने
जीवन संतों-सा न जिया है
रसिकों ने मुँह फेर लिया है
किन्तु परम सुख मुझे दिया है
तेरी प्रेम-व्यथा ने
हम तो तेरे हैं दीवाने
तू देखे चाहे मत देखे, जाने या मत जाने