nupur bandhe charan
शकुंतला के प्रति
(5)
मेरी-चंद्र-विहीना यामिनी
जैसे बिना दिये के बाती, बिना मेघ के दामिनी
जैसे बिना नीर के सरिता, बिना कंत के कामिनी
त्यों शकुन्तला बिना सृष्टि यह, अनभावत की भामिनी
कैसे भूलूँ वह नन्हीं-सी छवि प्रतिक्षण अनुगामिनी
आत्मा की आत्मा, प्राणों की प्राण, हृदय की स्वामिनी
मेरी चंद्र-विहीना यामिनी
अपनी 3.5 वर्षों की अल्पवयस पुत्री शकुंतला की मृत्यु पर सन् 1948 में
ये 6 गीत लिखे गये थे।