sau gulab khile
कहाँ पे हमको उमीदों ने लाके छोड़ दिया
अँधेरी रात में दीपक जलाके छोड़ दिया
उसी को सजते रहे हैं हम अपनी ग़ज़लों में
था साथ जिसने बहाना बना के छोड़ दिया
फिर उस तरह से कभी ज़िंदगी सँवर न सकी
किसीने दो घड़ी मन में बसाके छोड़ दिया
अभी तो हमने लगाया था डायरी को हाथ
लजाते देख उन्हें मुस्कुरा के छोड़ दिया
झलकता और ही उनपर है आज प्यार का रंग
किसीने दूध में केसर मिलाके छोड़ दिया
भले ही प्यार ने हमको बना दिया था गुलाब
उन्होंने आँख का काँटा बनाके छोड़ दिया