usha
आधा यौवन हो चुका शेष
लहराती अब भी तो मेरे उर में आकांक्षायें अशेष
किसकी पलकों में खो जाऊँ?
किसकी साँसों में सो जाऊँ?
किसका कैसे कुछ हो जाऊँ?
सुषमा धरती नित नये वेष
चेतनता किसकी बनी भीख?
किसके-हित अंतर रहा चीख?
सूने नभ में कुछ रहा दीख
कुहरे में धुँधला-सा दिनेश
सीमाओं के बंधन त्यागे
मैं बढ़ता हूँ ज्यों-ज्यों आगे
वह दूर, दूर, जैसे भागे
निद्रित नयनों में स्वण-देश
आधा यौवन हो चुका शेष?
लहराती अब भी तो मेरें उर में आकांक्षायें अशेष