vyakti ban kar aa
क्या तुझे नींद आ रही है,
मेरे पिता?
देख, मैं कितना रोया हूँ!
हिंस्र पशुओं से भरे घनघोर जंगलों में खोया हूँ,
रोते-रोते मेरी आवाज भी बैठती जा रही है।
मेरे इस चीखने की भनक
क्या नहीं पहुँचती है दूर आकाश में तेरे कानों तक!
मेरे चारों ओर यह उदासी कैसी छा रही है!
सब मुझे छोड़कर चले गये,
जाने कितनी बार मेरे प्राण तेरी आहट से छले गये!
यह कैसी भयावनी छाया अब मेरे सिर पर मँडरा रही है!
क्या तुझे नींद आ रही है!