vyakti ban kar aa
ओ कुंभकार!
तेरे पदाघात सिर-माथे पर हैं।
नये-नये रूपों में मुझे गढ़ता जा
नये-नये रंगों से मढ़ता जा,
वे सारी संभावनायें व्यक्त कर दे जो मेरे अंदर हैं।
ओ कुंभकार!
तेरे पदाघात सिर-माथे पर हैं।
नये-नये रूपों में मुझे गढ़ता जा
नये-नये रंगों से मढ़ता जा,
वे सारी संभावनायें व्यक्त कर दे जो मेरे अंदर हैं।