पँखुरियाँ गुलाबकी
अगर आप दिल से हमारे न होते अब क्यों भला किसीको हमारी तलाश हो ! अपना चेहरा भी किसी और…
प्रीत न करियो कोय
कई बार पहले भी उलझी नज़र (दूसरा सर्ग) तभी डूबते को कहीं दूर पर (तीसरा सर्ग) न तैयार था कोई…
कविता
अयि, वन की स्वामिनी ! आज कुसुम कुम्हलाये आज तन-मन खो रहे हैं आज तन-मन खो रहे हैं आज रे,…
कस्तूरी कुंडल बसे
अनंत की गुफाओं में कुंडली मारकर बैठे अपने अन्दर झांकते जाओ अपने अहम् में प्रविष्ट होकर मैंने देखा है आज,…
प्रेम-कालिन्दी
अब इस शेष विदा के क्षण में अब तो स्वरमय प्राण हमारे अब मेरी पीड़ा से खेलो अब ये गीत…
प्रेम-वीणा
अनचाहत की चाह अनुताप आज मेरे होंठ पर तिरती सुलगती प्यास किसकी आजा ओ मेरे जीवन कि तम से भरी…
कागज की नाव
अहं का मोह न छोडूँ, स्वामी आयु क्या निष्फल ही बीती है ! कागज़ की नाव कोई आये या मत…
बलि-निर्वास
कल्प वृक्ष की सबसे ऊँची शाखा पर से दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर-अबाध वासना-विलास राई में सुमेरु ज्यों विशाल वट…
बिखरे फूल
अब ये फूल फूल रस-भीने उठ उठ कर अतीत के तल से उड़कर फिर अतीत में जायें अक दिन वासंती…