chandni
मेरे मधुर चाँदनी के गीत
फूल से हैं खिले अक्षर, प्रेम की जयमाल है यह
दीप से झिलमिले स्वर-स्वर, आरती का थाल है यह
मोम से घुल-मिले अंतर, शब्द का जंजाल है यह
तारकों में बज रहा यह मिलन का संगीत
रोष मुख पर, प्रीति उर में, रूप का अभिमान है यह
ओट दृग से, गीत नूपुर में समझ लो मान है यह
गा रही यदि भीत सुर में तो प्रथम पहचान है यह
कुछ दिनों में देखना इसकी मधुरता, मीत!
जगमगाती देह छवि से, वयस का उल्लास है यह
है न ज्योतित गेह रवि से, नख-नखत का हास है यह
हो गया जो स्नेह कवि से, चार दिन का वास है यह
एक की होकर रहे क्यों विश्व का मन जीत!
मेरे मधुर चाँदनी के गीत
1947