bikhare phool
सभी कुछ थी इन मन की माया
यह मन ही था खींच मुझे जो पास तुम्हारे लाया
तुमने तो जाने-अनजाने
फेंक दिये थे बस कुछ दाने
पँछी अपना गला फँसाने
आप जाल में आया
प्राणों की पीड़ा अब भी वह
कसक-कसक उठती है रह-रह
मेरा मोहक प्रेम-काव्य यह
उसने ही लिखवाया
छलती रहे भले ही छाया
मैंने सब खोकर सब पाया
जीवन भर भूले न भुलाया
पल में जो सुख पाया
सभी कुछ थी इन मन की माया
यह मन ही था खींच मुझे जो पास तुम्हारे लाया
1996