boonde jo moti ban gayee
मैंने अपना हृदय तुम्हें सौंप दिया है,
तुम चाहो तो ओंठों से फूँककर
इसे दूर उड़ा सकती हो,
मन के किसी तहखाने में रखकर
सदा के लिए भूल जा सकती हो,
या सुहाग की बिंदी बनाकर
इससे अपना श्रृंगार सजा सकती हो।
यह वासना-मलिन है तो क्या!
तुम्हारे गौर भाल पर कस्तूरी-सा चमकेगा।
रूप की आँच में तपाकर
तुम इसे भी अपने जैसा उज्वल बना सकती हो।