guliver ki chauthi yatra
कब तक यहाँ रहेगा डेरा!
कब तक मुझे रोक पायेगा यह मिट्टी का घेरा!
रवि के पास खड़ी ज्यों संध्या किये सुदृढ़ हथफेरा
प्रण है, साथ-साथ लौटें फिर करके पार अँधेरा
वैसे ही मैं, प्रिये! हाथ में लिए हाथ हूँ तेरा
जान रहा हूँ फिर मिल लूँगा पाकर नया सवेरा
कब तक यहाँ रहेगा डेरा!
कब तक मुझे रोक पायेगा यह मिट्टी का घेरा!