nupur bandhe charan

इतने मीठे मन में कैसे इतना गुंफन पाल लिया!
बुझने दिया दिया जीवन का, पल भर भी न सँभाल लिया।

जिसे मसल सूने में फेंका
मुड़कर कभी उसे फिर देखा!
उड़ी अधर-पुट की स्मिति-रेखा

रो-रोकर क्‍या हाल किया!

यौवन के पहले परिचय की
गूँजी जो रागिनी प्रणय की
प्राण-प्राण की, हृदय-हृदय की

ऐसा सुर बेताल किया!

बीती रात, सेज जब त्यागी
समय बीत जाने पर जागी
विदा-क्षमा सँग-ही-सँग माँगी

अंतिम समय निहाल किया

इतने मीठे मन में कैसे इतना गुंफन पाल लिया!
बुझने दिया दिया जीवन का, पल भर भी न सँभाल लिया!

1949