कच-देवयानी_Kach Devyani प्रथम सर्ग द्वितीय सर्ग khand-kavya • “आप खरे धनी हैं, तभी तो आपने वाणी को इतने अलंकार दिये हैं कि उसे राजरानी बना देते हैं।” -मैथिलीशरण गुप्त Share on: Twitter Pinterest Facebook Google+