anbindhe moti

प्रिय तुम प्राणों के स्तर-स्तर में

प्रिय तुम प्राणों के स्तर-स्तर में
झन्कार तुम्हारी साँस-साँस, जीवन-वीण के स्वर-स्वर में

तुम प्रात-किरण-सी अरुण-चरण
करती मधु-कूंजों में विचरण
मुख-छवि-मनोज-श्री हृदय-हरण
मैं फूल तड़पता रहता हूँ बिँध-बिँधकर चितवन के शर में

अलसित मृणाल-से बाहु-पाश
मादक सुगंध से भरी साँस
खिल उठते जीवन-दल सहास
मैं अपनी मधुर कल्पना को साकार देखता पल भर में

झरती परिमल मधु-राशि धनी
नव-नव सुषमा पुलकित अवनी
तुम हँस देती अनजान बनी
मलयानिल आकर कह जाता कानों में कुछ अस्कूट स्वर में
प्रिय तुम प्राणों के स्तर-स्तर में
झन्कार तुम्हारी साँस-साँस, जीवन-वीण के स्वर-स्वर में

1940