kasturi kundal base
पत्ता जब पीला पड़कर
झड़ने को हुआ
तो शाखा ने रोते हुए कहा–
‘क्या यही था मेरा-तेरा संबंध !
हमारा साथ इतने दिनों का ही रहा |’
पत्ते का मन डोल उठा,
फिर भी जी कड़ा करके
वह बोल उठा–
‘माना कि तुझसे बिछुड़कर
मैं आज धरती में समा जाऊँगा,
परंतु याद रखना
ओ स्नेहमयी माँ!
फिर भी एक दिन लौटकर
तेरी गोद में आऊँगा !’