गुलाब-ग्रन्थावली, खंड 1, भाग 2_Gulab Granthavali Vol-1 Part 2 कितने जीवन, कितनी बार तिलक करें रघुबीर तुझे पाया अपने को खोकर नहीं विराम लिया है नाव सिन्धु में छोड़ी बिखरे फूल सब कुछ कृष्णार्पणम् हम तो गाकर मुक्त हुए Compilation, Songs Share on: Twitter Pinterest Facebook Google+