आलोकवृत्त_Alok Vritt

• “गुलाबजी छायावाद युग के कृति हैं अतः उनकी रचना में तथ्य भाव-समुद्र की तरंगों की तरह आते हैं। कहीं-कहीं ’कामायनी’ की पंक्तिवयों का स्मरण हो आना भी स्वाभाविक है।”
-महादेवी वर्मा