रवींद्रनाथ:हिंदी के दर्पण में_Ravindranath:Hindi Ke Darpan Me

  1. अपना और संसार का (निजेर उ साधारणेर)
  2. अभिसार
  3. अशेष
  4. असंभव-अच्छा (असंभव भालो)
  5. आत्मा की अमरता
  6. उर्वशी
  7. एक दिन तुम प्रिये (एकदा तुमि प्रिये)
  8. कर्तव्यग्रहण
  9. कुटुंबिता
  10. जन-गण-मन
  11. जन्मदिन
  12. जब थी रात (केनो जामिनी ना जेते)
  13. जाने के दिन (याबार दिन)
  14. जीवनसत्य
  15. दिन का शेष (दिनशेषे)
  16. धूप चाहती मिलूँ गंध से (आवर्तन)
  17. भक्तिभाजन
  18. भैरवीगान
  19. मुख की छवि तो देखूँ (मुखपाने…)
  20. मुखछवि देखी आज तुम्हारी (मुखपाने…..)
  21. मेरा सोने का बंगाल (आमार सोनार बांगला)
  22. रवीन्द्रनाथ और मैं
  23. रात और प्रभात (रात्रे उ प्रभाते)
  24. रात रहते जगाया था क्यों न मुझे (केनो जामिनी ना जेते)
  25. वह है नहीं अधूरी (असमाप्त)
  26. शान्तिपारावार
  27. शाहजहाँ
  28. शिवाजी उत्सव
  29. स्वर्ग से विदा (स्वर्ग से विदाय)

“इन कविताओं के अनुवाद में मेरा सदा यह ध्यान रहा है कि मेरी रचनाएँ पढ़ी जाने पर उनमें अनुवाद तो क्या, भावानुवाद होने का भी बोध न हो और वे स्वतंत्र कविता का पूरा आनंद दें। पाठक भूल जाय कि वह कोई अनुवाद पढ़ रहा है । इसके लिए मुझे तुक और अभिव्यक्ति ही नहीं, तदनुकूल छंदविधान भी ढूँढना पड़ा है और नयी उपमाएँ और उत्प्रेक्षाएँ भी लानी पड़ी हैं । यही नहीं, रवीन्द्रनाथ के बँगला छंदों को भी हिन्दी के वर्णिक छंदों का सहारा लेकर हिन्दी में उतारने का भी कई स्थान पर मैंने प्रयास किया है “—गुलाब खंडेलवाल