सौ गुलाब खिले_Sau Gulab Khile

  1. अँधेरी रात के पर्दे में झिलमिलाया किये
  2. अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ
  3. अपने हाथों से ज़हर भी जो पिलाया होता
  4. अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है
  5. अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाये तो क्या !
  6. आँखों-आँखों ही में दोस्ती हो गयी
  7. आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
  8. आप क्यों जान को ये रोग लगा लेते हैं !
  9. आप, हम, और कुछ भी नहीं !
  10. आये थे जो बड़े ही ताव के साथ
  11. उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी !
  12. उनकी आँखों में प्यास देखेंगे
  13. उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता !
  14. उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे
  15. एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक
  16. कभी सिर झुकाके चले गये, कभी मुँह फिराके चले गये
  17. कभी हमसे खुलो जाने के पहले
  18. कहाँ पे हमको उमीदों ने लाके छोड़ दिया !
  19. क्या ज़िंदगी को दीजिये, क्या-क्या न दीजिये !
  20. क्या बने हमसे भला कागज़ की तलवारों से आज !
  21. किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
  22. कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो
  23. कुछ ऐसे साज़ को हमने बजाके छोड़ दिया
  24. कुछ जगह उनके दिल में पा ही गयी
  25. कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी क़िताब में
  26. कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं
  27. कोई हमींसे आँख चुराये तो क्या करें !
  28. कोई हमें सताये  सताता ही जाये तो
  29. खनक कुछ कम भी हो तो कम नहीं है
  30. खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिए
  31. चुप तो किसी भी बात पे रहते नहीं हैं हम
  32. चले भी आइये क्यारी में सौ गुलाब खिले
  33. जहाँ भी दिल ने पुकारा वहीं जाना होगा
  34. जान उन पर लुटाके बैठ गये
  35. ज़िंदगी को यों ही भरमाया किए
  36. ज़िंदगी दर्द का दाह है
  37. जो कहते हैं, –‘हमसे लड़ाई हुई है’
  38. जो जीवन में दुःख की घटा बन गयी है
  39. जो पीने में ज़्यादा या कम देखते हैं
  40. जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप
  41. झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती
  42. तुम्हारे रूप को चाहे भला कहें तो कहे
  43. तेरी तिरछी अदाओं पर जिन्हें मरना नहीं आता
  44. दम न छूटे तो चारा नहीं
  45. दिया भी याद का इसमें जलाके रक्खा है
  46. दिल के लुट जाने का ग़म कुछ भी नहीं !
  47. दिल्लगी और ही है, दिल की लगी और ही है
  48. दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
  49. दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये
  50. दिल को तुम्हारे वादे का एतबार तो रहे
  51. दीप जलता ही रहेगा रात भर
  52. दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम
  53. दो घड़ी की हँसी-खुशी के लिए
  54. नज़र अब उनसे मिलाने की बात कौन करे !
  55. नज़र नज़र से ही टकराये, और कुछ मत हो
  56. नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था
  57. नहीं एक दिल की लगी छूटती है
  58. नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाकी है
  59. नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता
  60. न होंठ तक कभी आयी, न मन के द्वार गयी
  61. निराश प्राण में आशा के सुर सजाते चलो
  62. पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइये
  63. प्यार की बात न कर प्यार को बस रहने दे
  64. प्यार को हम न कोई नाम दिया चाहते हैं
  65. प्यार में यों भी जीना हुआ
  66. प्राण में गुनगुना रहा है कोई
  67. फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं
  68. फिर किसी प्यार की पुकार है आज
  69. बड़ी हसीन है सपनों की रात, चुप भी रहो
  70. बहुत हमने खोया, बहुत हमने पाया
  71. बात होनी थी, होके रही
  72. बातें हम अपने प्यार की, उनसे छिपाकर कह गये
  73. बिना अब आपके जीना तो साँसें जोड़ना ठहरा
  74. भले ही दिल न मिले, आँख चार होती रही
  75. भले ही बाग़ में कोयल भी है, बहार भी है
  76. भोर होनी थी, होके रही
  77. मिलके आँखें हैं छलछलाई क्यों !
  78. मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं
  79. मुँह से कहते नहीं, गुलाब भी हैं
  80. मिलने की हर खुशी में बिछड़ने का ग़म हुआ
  81. मेरा जीना प्यार  का जीना, उनकी बातें काम की बातें
  82. मेरी चुप्पी भी उनको भा ही गयी
  83. मौत आँखें दिखाती रही
  84. यह ज़िंदगी तो कट गयी काँटों की डाल में
  85. यह तो वेला है, ढलती रही
  86. रहे न चाँद, यही चाँदनी रहे न रहे
  87. लगी है चोट जो दिल पर बता नहीं सकते
  88. लुभा रही है बहुत उनके देखने की अदा
  89. वनों में आग है, बिजली भी आसमान में है
  90. वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई !
  91. विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो
  92. वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम
  93. सबसे आँखें तो चार करते हैं
  94. सभी तरफ है अँधेरा, कहीं भी कोई नहीं
  95. साज़ क्यों बज नहीं पाता है !
  96. सुनते नहीं हैं पाँव की आहट कहीं से हम
  97. हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं
  98. हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं
  99. हम उनको अपना बना लें, कभी वो खेल तो हो
  100. हमसे किसीका प्यार छिपाया न जायगा
  101. हम यों भी कभी प्यार की ठोकर में जी गये
  102. हमारी रात अँधेरी से चाँदनी बन जाय
  103. हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय
  104. हमारे सामने आओ कि हम भी देख सकें
  105. हमारे सुर से किसीका सिंगार हो तो हो
  106. हमेशा दूर ही रहते हैं आप, क्या कहिए !
  107. हमें तो कहते हो, ‘अपना ख़याल है कि नहीं’
  108. हरदम किसीकी याद में जलते रहे हैं हम
  109. हुआ है प्यार भी ऐसे ही कभी साँझ ढले

• “ये ग़ज़लें बहुआयामी हैं। इनमें कवि की आत्माभिव्यक्ति ही नहीं, आत्मसमर्पण भी है। लौकिक और आध्यात्मिक प्रेम की सार्थक अभिव्यक्ति इन ग़ज़लों की विशेषता है।”
-साप्ताहिक ’आज’